नए आगाज़ की राह
धीरे धीरे एक बात समझ में आने लगी है
कि बुढ़ापा जितना उम्र के दौर की सजा है
उतनी ही सीख भी है दूसरों के लिए
कि समय रहते बदल लेना खुद को
नहीं तो पीढ़ा के अलावा कुछ नहीं है
शायद सारी उम्र का निष्कर्ष है
जो हमें मिलना है या ये कहें भुगतना है
न आँखें कुछ कहेंगी
न मुख कुछ बोलेगा
न तन साथ देगा
मन बेचैन रहेगा पर शान्त न होगा
धर्म किया नहीं जाएगा
यदि कर्मों को सुधारना भी चाहें तो वह अवसर नहीं मिलेगा
अच्छी बुरी वही आदतें साथ लिए नए आगाज़ की ओर जाना पड़ेगा..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




