घर का ख़्याल
जा रही थी दूर शहर में
यह मंशा लिए कि
जी लूं अपनी जिंदगी
खुल के फिलहाल
तभी अचानक
पलट कर देखा मैने
अपने घर का हाल
मन में आया मेरे यह सवाल
जिंदगी तो बना ही रही है
कभी इस झोपडी का भी कर ख्याल
बदल अपने घर का हुलिया
वरना करते रहेगी तू भी मलाल
इक अफसोस में है तेरे पिता
उनके लिए तू बन मिसाल ।।
-तुलसी पटेल