लिखूं साहिल पर, तो
लहरें दौड़ी दौड़ी आतीं हैं
तुम्हारी नाम के एक एक अक्षर में
अजीब सी जादू है
हवाएं तुम्हारी ओर
उड़ी उड़ी चलीं आतीं हैं
तुम्हारी सांसों की एक एक बूंद में
अजीब सी खुशबू है
किरणों का झुंड
झरोखे लांघ जातीं हैं
तुम्हारी पलकें छेड़ जाने की
उनकी बड़ी आरजू है
आईने भी स्वयं से
जाने क्यूं शरमातीं हैं
सामने जब तुम रहो तो, वो,
हो जाती बेकाबू हैं
सावन की बूंदें जब
तुम्हारी माथे से टकराती हैं
मिट जातीं हैं, बनकर पहेली,
और पहेली में तू है।।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




