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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

खुली आंख से देखो सपने

कापीराइट गीत

खुली आंख से देखो सपने रोज सुबह और शाम
मंजिल पर ही दम लेना तू फिर करना आराम

जाग मुसाफ़िर मंजिल तेरी कब से तुझे बुलाए
पहले चुन अपनी मंजिल फिर आगे बढ़ता जाए
बातें उससे करते रहना तू रोज सुबह और शाम
मंजिल पर ही ....................

बन्द आंख से रातों में देखे तुमने जितने सपने
सुबह होते ही वो सपने होते नहीं कभी अपने
चाहे उनके लिए करो तुम अपनी नींद हराम
मंजिल पर ही ........................

एक फैसले एक सोच से बदलेगा तेरा जीवन
छोटी-छोटी खुशियों से ये महकेगा तेरा जीवन
देखेगी ये दुनियां सारी जब बोलेगा तेरा काम
मंजिल पर ही .........................

कहता है ये यादव आज फैसला कर लो तुम
घर अपने तुम जाओ या खुशियों से भर लो दामन
मंजिल होगी कदमों में करोगे गर मेहनत से काम
मंजिल पर ही .......................

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

डॉ कृतिका सिंह said

Preranatmak rachna bahut hi sundar anubhuti

Lekhram Yadav replied

आप जैसे शिक्षित एवं प्रतिष्ठित शख्सियत से अपने गीत की प्रशंसा सुनकर मै बहुत प्रभावित हूं जबकि मैं खुद आप लोगों से प्रेरणा लेकर लिखता हूं। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

रीना कुमारी प्रजापत said

देखेगी ये दुनिया सारी जब बोलेगा तेरा काम.... बहुत ही अच्छी motivational रचना लिखी भय्या आपने, बहुत बहुत सुंदर

Lekhram Yadav replied

मेरी प्यारी बहना, पुनः आपका हार्दिक स्वागत है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Bhushan Saahu said

Bahut khoob...

Lekhram Yadav replied

आदरणीय भूषण साहू जी आपका पुनः हार्दिक स्वागत और धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar preranatmak Kamaal ka likhte hai Yadav Sir aapko ek aur FAN mil gaya

Lekhram Yadav replied

सर नमस्कार। बस फैन तो मुझे ही बना रहने दें, आप तो मेरे प्रेरणा स्त्रोत ही बनें रहें वही अच्छा है मेरे लिए। धन्यवाद सर।

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