जब से मानव आया धरती पर,
तब से चला है, धर्मं युद्ध धरती पर,
कभी फलता फूलता है, किसी का ,
कभी खतरे में होता है, धर्मं धरती पर,
मिटता है, कोई धर्मं धरती पर,
पनपता है, नया कोई धर्म धरती पर,
सिवाय इसके कुछ नहीं होता धरती पर,
धर्म की इस कसमकस में,
भूल गया है मानव,
है क्या धर्म उसका धरती पर,
दिया जिसने वजूद उसको,
मचाया है उसने कोहराम उस धरती पर,
उद्योगों के शोर में, धुएं में होते विलुप्त,
बेतहासा खनन, स्वहित मनन,
क्या केवल मानव ही है धार्मिक
धरती पर


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







