👉बह्र - बहर-ए-मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
👉 वज़्न - 221 2121 1221 212
👉 अरकान - मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
रुख़ पे ख़ुशी न दिल में कोई भी उमंग है
अपनों के बिन ये जिंदगी टूटी पतंग है
दौलत से तेरी क्या तेरे रुतबे से क्या मुझे
तुमसे नहीं ए यार मेरी ख़ुद से जंग है
मेरे ख़िलाफ़ कौन है मुझको नहीं पता
इतना पता है मेरा ख़ुदा मेरे संग है
हैराँ है यार भी मिरे जज़्बे को देख कर
मेरे जनूँ को देख के दुश्मन भी दंग है
करना ख़ुदा का शुक्रिया हर चीज़ के लिए
सच है यही तो जिंदगी जीने का ढंग है
जाती में धर्म में है बँटा आज का बशर
यूँ 'शाद' खून के सभी का एक रंग है
©विवेक'शाद'