क्या लिखूं मैं कि तुम मेरे भीतर हो जाओ,
शब्दों की तरह तुम मेरे भीतर जा नहीं सकते,
तुम्हें पता है झूठ, तुम सच बता नहीं सकते,
भावना मेरी विरह है, तुम्हारी भावना के भीतर तुम समा नहीं सकते,
क्या करें,
छोड़ दे, आगे बढ़े
अपने लिए चुप रहें,
दूसरे को जाने दे,
आदत बना के तो खुदा को मान नहीं सकते,
खुद के सिवा खुद से जान नहीं सकते,
क्या करें,
जाने दे,
बेहद मुस्कुरा कर अपनी हद को तसल्ली दी है,
काग़ज़ में ही लिख देते हैं, हम तुम्हें चाहते हैं ये चाहत है,,
तुम लिख दो ये बात है, ये बात वो बात है,
चाहते हैं या नहीं ये सब ज़ज्बात है,
तुम लिख दो कागज पर,
हमारे लिए तो राहत के, ये हाथ है ll

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




