"ग़ज़ल"
आप का साथ ऐ जान-ए-ग़ज़ल चाहिए!
प्यार में डूबे हुए पल दो पल चाहिए!!
आप के रंग में ख़ुद को रंग डालूॅंगा मैं!
हाथों की मेहंदी ऑंखों का काजल चाहिए!!
उन की तरह मैं भी ख़ुशबू लुटाता रहूॅं!
उन के गोरे बदन का संदल चाहिए!!
वो न बिछड़ें कभी एक पल के लिए!
उन की मोहब्बत मुझे मुसलसल चाहिए!!
हाॅं वो चाहे मुझे कुछ इस क़दर टूट के!
मुझे पागल बना दे ऐसी पागल चाहिए!!
सदियों के अधूरेपन को वो पूरा करे!
ऐसी उल्फ़त की देवी मुकम्मल चाहिए!!
उन के ख़्वाबों में यूॅंही मैं खोया रहूॅं!
बस अपने चेहरे पे उन का ऑंचल चाहिए!!
ज़िंदगी इक पहेली! वो मेरी ज़िंदगी!
इस पहेली का उन से मुझे हल चाहिए!!
हो मोहब्बत की बारिश हम पे इस क़दर!
हमें 'परवेज़' हर तरफ़ जल-थल चाहिए!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*जान-ए-ग़ज़ल = ग़ज़ल की जान (life of poem); *संदल = चंदन (sandal); *मुसलसल = लगातार (continuous); *मुकम्मल = सम्पूर्ण (complete); *हल = समाधान (solution); *जल-थल = अधिक वर्षा के कारण पानी का जमावड़ा (flooded land).