लम्हा लम्हा, जिनके इंतजार में तड़पे
वो आए, हमसे, नजरें चुराकर चल दिए
फूल अरमानों के दिल में, सजाकर,रखे थे
अपनी बेरूखी से,सारे के सारे, कुचल दिए
अब समझा कर क्या फायदा, अपने दिल को
बिना समझाए ही, फितरत बदल दिए
उसके बिना जीना, क्या जीना नही हो सकता
यही सोचकर हमने,अपना सलीका बदल दिए
" समदिल" की चाहत में, दोस्त इंक्लाबी हों
जिसे रहना है रहें,जिसे जाना है, चल दिए।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




