घटिया सोच- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
घटिया सोच,
घटिया लोगों की होती है।
पढ़े-लिखे से,
बेहतर अनपढ़ की पढ़ाई होती है।
जब कुछ नहीं सूझता,
भाषा शैली खराब होती है।
सिर को पटकता,
दीवारों पर।
पैर को पटकता,
जमीं पर।
अहंकार में लिखता,
तथ्यहीन, आधारहीन एवं भ्रामक।
ऑफिस में,
बड़ी तू तू में में होती है।
जिंदा तो है,
लगता है अपनी लाश ढ़ो रहा।
मिल जाए कहीं,
बड़ी थू थू होती है।
अंकी इंकी डंकी लाल
संदिग्ध लिखते ही,
स्वयं,
संदिग्ध के घेरे में है।
जांच अधिकारी को,
खिला पिलाकर।
सोच रहे,
कटघरे से बाहर है।
तलवार लटक रही,
गर्दन पर,
प्रशासन भी है तैयार,
शिकंजा लेकर।