आजादी के मायने समझते है वो खूब।
इसीलिए नये कानून ला रहे बहुत खूब।।
उन्हे पता मोहब्बत में बात सुनी जाती।
पागलपन में रही लफ्फाजी बहुत खूब।।
ख्वाब बेशुमार देखे मगर साकार नही।
मंहगाई बढाने में कामयाब बहुत खूब।।
जवानी से बुढ़ापे की तरफ रखे कदम।
मगर जोड़ तोड़ का तरीका बहुत खूब।।
डगमगाये 'उपदेश' तो गिरेंगे अवश्य ही।
उनको सम्हालने वाले ही है बहुत खूब।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद