इस जहां की हर लड़की का ये सवाल है -
कि क्या हर लड़की की विदाई ज़रूरी है ?
क्या एक लड़की अपने मां, पापा, भाई के साथ
उनके घर हमेशा के लिए नहीं रह सकती है ?
क्या लड़की की शादी करना ज़रूरी है ?
क्या एक लड़की कुंवारी नहीं रह सकती है ?
इस जहां की हर लड़की..........
इस जहां की हर लड़की का ये सवाल है -
कि क्यों जब कोई लड़की कुंवारी रहना चाहती है
तो उसे तरह - तरह की बातें सुनाई जाती है ?
क्यों उसके चरित्र पर उंगली उठाई जाती है ?
क्यों उसे एक उम्र के बाद घर का बोझ समझा
जाता है ?
इस जहां की हर लड़की.....…......
ऐसा नहीं कि इन सवालों के जवाब मिलते नहीं,
मिलते हैं, हर किसी से मिलते हैं।
पर जैसे उसे चाहिए होते हैं,
वैसे नहीं मिलते हैं।
इस जहां की हर लड़की का ये सवाल है
तो इस जहां के हर इंसा का ये जवाब है -
कि लड़की की विदाई करना ज़रूरी होता है,
वो अपने मां पापा के घर हमेशा के लिए
कभी नहीं रह सकती है।
उसकी शादी करना ज़रूरी होता है,
लड़के कुंवारे रह सकते हैं पर लड़कियां
वो कभी कुंवारी नहीं रह सकती है।
इस जहां के हर इंसा का..........
सवाल भी वही जवाब भी वही,
जो सदियों से चला आ रहा है।
एक ही सवाल एक ही जवाब,
युगों - युगों से दोहराया जा रहा है।
अब क्या ?
जब तय है कि सवाल भी यही रहेंगे और
जवाब भी यही मिलेंगे,
तो हम लड़कियों को ही कुछ करना होगा
हमे ही इन जवाबों को बदलना होगा।
पर पहल करती नहीं कोई लड़की इसकी,
अब मुझे ही ये सब करना होगा।
अगर तय है ये जवाब तो तय ये भी है,
कि शुरुआत इसकी हम ही करेंगे।
और बेमिसाल होगी जो,
एक ऐसी मिसाल दे जायेंगे।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत