बुत को छोड़ो किताबों से वास्ता रखो।
इंसानियत से मोहब्बत का रास्ता रखो।।
जवानी में ख्वाब आयेंगे रूबरू होने के।
दूरी अच्छी नही करीबी का रास्ता रखो।।
प्यार की कहानी सब की अपनी अपनी।
पड़ोसी अपनी जगह खुद से रास्ता रखो।।
हद से ज्यादा शौक कोई सही नही होता।
आमदनी बढ़ाओ और हद का रास्ता रखो।।
आँखें बहने लगे 'उपदेश' कोई वहन होगी।
रास्ता एक ठीक नही और भी रास्ता रखो।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद