कोई राम बन रहा है कोई रहीम बन रहा है।
पर सब हैं इंसान के बच्चे ना कोई इंसान बन रहा है।
मंदिरों की घंटियों और मस्जिदों की अज़ान से किसको जगा रहें हैं।
खुदा भगवान सब जगह सब देख रहें है
ना जाने जगाना किसको चाह रहें हैं।
मंदिर मस्जिद के नाम पर लोग लोग को खा रहें हैं।
हस्ती खेलती बस्तियों को समशान बना रहें हैं।
पता नहीं पाना क्या चाह रहें हैं।
देश के भविष्य को कहां ले जा रहें हैं।
ज़रा हट के कोई ध्यान से सोचें तब मसीहा बनें कि आप अपनी जाती धर्म मज़हब के लिए किया क्या है?
क्या दुःख दर्द सब बांट लिया है।
लूट पाट डराने धमकाने दंगा करने के लिए
धार्मिक उन्माद के लिए तो लोग इकट्ठा
आसानी से ही जातें हैं
पर क्या प्रदूषण कम करेंगे
लोगों के लिए रोज़गार सृजित करेंगें
देश को सर्वोपरि रखेंगे
देश को साफ़ सुथरा
खेतों को हरे भरे रखेंगे
किसी से कोई बैर ना रखेंगे।
वीरों के सपनों को मिलकर साकार करेंगें।
गंगा जमुनी तहजीब को बरक़रार रखेंगे
जनसंख्या कंट्रोल्ड रखेंगे।
हर हाल में हम सब हिंदुस्तानी
हर हाल में हम भारतवासी
मिल कर रहेगें।
उपरोक्त सभी के लिए एक मंच पर क्या हम कभी इकठ्ठा होएंगें।
क्या कभी हम एक दूसरे की दुःख दर्द को बाटेंगे ?
ऐसा क्यूं नहीं है?
सबकुछ संभव है
बस दिल बड़ा कीजिए
और ये भारत देश है
यहां खुद भी चैन से रहिए
और दूसरों की भी रहने दीजिए
यूं बात बात पर आग ना लगाइए
क्योंकि आग की लपटे केवल पड़ोसी के
घर को हीं अपितु आपके घर का भी
पता जानतीं हैं।
इसलिए समय रहते संभल ना गए तो
बरबादी की पक्की गारंटी है
फिर तो बरबादी की पक्की गारंटी है...
फिर तो बरबादी की पक्की गारंटी है..