क्या ख़ता हुई हम सब से ?
क्या ख़ता हुई हम सब से
कि हमारी दी आवाज़ भूल गई !
मीठे शब्दों से उसे सबका दिल जीतना है
सहजता की सुन्दरता से सबको रिझाना है
सभ्य रहकर सबका मान बढ़ाना है
कैसे ?भूल गई वह सब जज़्बात..
जिसने उसे ख़ुद की पहचान दिलवाई
अपनी बात समझा सको ऐसी तालीम दिलवाई
दुनिया को परख सको ऐसी नज़र दिलवाई
फिर क्यों?ऊँची आवाज़ कर उन्हीं के मान को उसने ठेस पहुँचाई ..
आवाज़ बने वह सबकी
नज़र बने वह सबकी
इज़्ज़त करे वह सबकी
यही सीख सदा है सिखाई
फिर क्यों ? चरित्र में उसके ऐसी अज्ञानता है छायी..
कड़वी वाणी
कटु शब्द
कठोर स्वभाव
असभ्य व्यवहार
क्या हुई ख़ता हम सब से ? कि उसने छोड़ कर सब संस्कार ऐसी उदंडता है अपनाई !!
वन्दना सूद