कितने पल बीते,
कितने साल गए।
ज़माने की धारा ,
बहती चली गई।
कितने ख्वाब टूटे,
कितनी आसें लगी।
ज़िंदगी का सफर,
यूँ ही चलता रहा।
खुशियों के पल भी आए,
गमों के भी साए।
ज़िंदगी का चक्र,
यूँ ही घूमता रहा।
मिलन के पल भी आए,
विछोह के भी गम।
ज़िंदगी का नाटक,
यूँ ही चलता रहा।