(ग़ज़ल)
क्या फायदा
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दिल किसी से लगाने से क्या फायदा ।
उम्र भर गम उठाने से क्या फायदा ।।
बेवजह फिर रहे पागलों की तरह
नाम जल पर लिखाने से क्या फायदा ।
हो चुके हैं यहाँ लोग बहरे सभी,
शोर ज्यादा मचाने से क्या फायदा ।
रह सकेंगे नहीं आप के साथ जब,
नेह नाता बनाने से क्या फायदा ।
मिल न पाएँगी दो पटरियाँ रेल की,
दूर तक साथ जाने से क्या फायदा ।
सिर्फ काँटों का तोहफ़ा है इस राह में
इश्क में डूब जाने से क्या फायदा ।
उम्र के साथ बढ़ती गईं दूरियाँ ,
दूरियों को बढ़ाने से क्या फायदा।
बात अपनी कहो, उनकी बातें सुनो ,
सिर्फ़ तोहमत लगाने से क्या फायदा।
हम क़दम से क़दम को मिला कर चलें
उल्टी राहों पे जाने से क्या फायदा।
शर्तियाँ गिर पड़ेंगे बनेंगे अगर ,
रेत पर घर बनाने से क्या फायदा ।
जाने वाले कभी लौट पाए नहीं ,
आश उनकी लगाने से क्या फायदा।
मौत है आखरी सच ये कहते सभी,
आँसुओं को बहाने से क्या फायदा।
पेट अपनी मजूरी से भर जाएगा,
रोटियाँ माँग लाने से क्या फायदा।
ज़ख्म हैं दिल के भीतर संजोए हुए,
होंठ से मुस्कुराने से क्या फायदा ।
सूख कर पेड़ छोटे-बड़े गिर गए,
जल की वर्षा कराने से क्या फायदा।
पेट भर कर अगर कोई खाता नहीं,
धन-दौलत कमाने से क्या फायदा।
जगजाहिर हैं जब अपनी बातें सभी
दर्द अपना छिपाने से क्या फायदा ।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'