जिन्दगी का तन्हा रास्ता साथ उसके हो लिये।
कई हरे भरे पेड़ मिले उन्हीं से व्यथा कह लिये।।
मैंने पगडंडी से सुनी है हरी भरी घास की गाथा।
कोई सूखा पेड़ मिला उससे लिपट कर रो लिये।।
ख्वाब की न मानी जिससे प्यार मिला लें लिया।
प्यास बुझाने की बात आई नदी नदी हो लिये।।
अब पानी से क्या पर्दा बिना कपड़ो के उतरना।
शर्म जब-जब लगी 'उपदेश' गहराई के हो लिये।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
Ghaziabad

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




