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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ रिश्ते

कुछ रिश्ते...'उपदेश'
दरअसल कभी ख़त्म नहीं होते...
बस एक रोज़...
बातें बंद हो जाती हैं,
नज़रें चुप हो जाती हैं...
और दोनों ही मान लेते हैं
कि अब इस चुप्पी को तोड़ने की हिम्मत किसी में नहीं रही।

वो रिश्ते...
जो कभी हर सुबह की वजह थे,
अब हर रात की बेचैनी बन जाते हैं...
कभी-कभी लगता है,
किसी ने छोड़ा नहीं,
बस थक गया होगा...
या शायद...
कोशिशें इकतरफ़ा थीं।

कुछ खिड़कियाँ तो हमने ख़ुद ही बंद कीं...
पर कुछ दरवाज़े ऐसे भी थे
जो किसी और के हाथ से बंद हुए...
और उनके पीछे सिर्फ़ सन्नाटा रह गया।

वक़्त बीतता गया...
हम मुस्कराना सीख गए...
लोग समझने लगे कि अब सब ठीक है...
पर कोई नहीं जानता कि
हर मुस्कान के पीछे
एक ख़ामोश चीख़ दबी रहती है...
जो अब सिर्फ़ रात के तकिये सुनते हैं।

कभी यूँ ही चलते-चलते
किसी जगह, किसी बात पर
वो यादें फिर टकरा जाती हैं...
और हम मुस्कुराते हुए आँखे फेर लेते हैं...
क्योंकि रो लेना अब इतना आसान कहाँ रह गया है।

- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
- गाजियाबाद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

सुप्रिया साहू said

सही कहा आपने रो लेना अब इतना आसान कहां रह गया है, बहुत खूबसूरत रचना सर 👌 👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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