New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ

1
दिल का दर्पण ऐसे धुंधला हो गया है दोस्तों
हर ख़ुशी का अपनी तर्पण हो गया है दोस्तों
दर्द का आतंक इतना बढ़ रहा है हर तरफ से
बिन लड़े ही अपना समर्पण हो गया है दोस्तों. .
2
वतन पे जां क़ुरबान करने वालों को
ये जिन्दगी भी खुद सलाम करती है
हर देशवासी को उनपे रहता है नाज
हरेक पीढ़ी उनका एहतराम करती है..
3
जिंदगी की राह में फूल भी है शूल भी हैं दोस्तों
सिर्फ खुशबू ही नहीं शहर में धूल भी है दोस्तों
प्यार के वादों की चाँदनी है चार दिन की दास
दिलों के बीच मिलता अक्सर तूल भी है दोस्तों!
4
जाने क्यूँ हमारे सब रास्ते रुक जाते हैं
दिल के सारे ही अरमान बिखर जाते हैं
अंधेरा जिन्दगी का दूर नहीं होता कभी
हम जो दिए जलाते हैं वहीं बुझ जाते हैं..
5
मिलने जुलने के सभी आदाब पुराने हो गए हैं
इंसान की औकात के अंदाज पुराने हो गए हैं
अब यहाँ सजती नहीं हैँ वे महफ़िलें शाम को
दास सब दवाखाने अब तो मयखाने हो गए हैं..
6
पी के दिन रात अक्सर मचलते हैं कुछ लोग
मैखाने को घर अपना समझते हैं कुछ लोग
साकी ने जरा हँसके उन्हें जब जाम दे दिया
मयकशी को हर खुशी समझते हैं कुछ लोग!




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Ankush Gupta said

Uttam rachna 👌👌

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार।

Shiv Charan Dass replied

शुक्रिया यादव जी नमस्कार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

अभिनंदन! आपके शब्दों की गहराई, आपकी भावनाओं की ऊँचाई और आपके अंदाज़ की रवानी को सलाम 🙏 पाठक इन रचनाओं से न केवल जुड़ते हैं, बल्कि उनमें खुद को भी पा लेते हैं। सादर प्रणाम एवं नमन 🙏

Shiv Charan Dass replied

आपको भी प्रणाम आभार

Supriya sahu said

बहुत सुंदर रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

सुप्रिया जी नमन आभार

Updesh Kumar Shakyawar said

बेहतरीन रचना

Shiv Charan Dass replied

शुक्रिया

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन