New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इंकलाब ज़िन्दाबाद

आज फिर आ गया तेईस मार्च,
याद ताजा कराने मात्र।
तेईस साल की उम्र में ऐसे-ऐसे साहसिक कार्य,
असेंबली पर निडरता से बम फेंकना।
सर नत मस्तक कर जाता है,
देश की आजादी के लिए वरमाला की जगह फाँसी के फंदे को चूम,
गले लगाना सोच कर दिल सिहर जाता है।

भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,
तीनों में होड़ लगी हंसते-हंसते,
पहले कौन फाँसी की तख़्ती पर जाता है।
लेकिन मन में एक सवाल है,
जिस देश की आजादी के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दी गई,
वो सार्थक तो हुई मगर हम इतने और इतने आजाद हो गए,
हम कि लगता है सारी पाबंदियाँ हट गई।

आज़ादी को शायद निरंकुशता समझा गया,
तभी तो आए दिन ख़ून की होली,
भाईचारे में हीं होंने लगी,
बहू-बेटियाँ असुरक्षित रहने लगी।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,
हम सब है भाई-भाई मात्र कहने को रह गया,
कहने को समाजवादी आचरण व्यक्तिवादी हो गया,
दोहरे चेहरे वाले मजे में जी रहे।

मानवता शब्द धीरे-धीरे शब्दकोश से हीं उड़ रहे,
इंसान मरता है आत्मा नहीं,
तो ज़ाहिर है इसी कायनात में यह सब देखकर,
आपकी आत्मा दुःखी हो रही होगी,
ख़ून के आँसू टपक रहे होंगें।
तो काश ऐसा होता कि जैसे स्वाति नक्षत्र में,
पानी की बूंद सीप में जाते ही मोती बन जाता है,
वैसे हीं आपके ख़ून का एक-एक बूंद हर एक के ज़ेहन में टपक जाए,
तो आप जैसे कितने क्रांतिकारी पैदा हो जाए।
और तब वास्तव में ये देश रंगीला हो जाए,
हर ख़ून में वही जज़्बा आ जाए।

लेकिन काश तो काश होता है,
सिर्फ़ आज का दिन याद कर आँखें नम हो जाती है,
तो दिल से आवाज़ आती है,
इंकलाब ज़िन्दाबाद,
भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव लाल सलाम,लाल सलाम।




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर, सभी स्वतन्त्रता सेनानियों को शत-शत नमन।

श्रेयसी said

जी उनको नमन करना तो बनता है। सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Heart touching....🙏🙏💐💐shat shat Naman un veeron ko "inkalaab zindabaad"

रीना कुमारी प्रजापत said

Meri aaj ki rachna wajah tum ho par mera reply zarur padhna didu raani

वन्दना सूद said

सुंदर अति सुंदर 👏👏👌👌🇮🇳🇮🇳

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार वंदना जी 🙏🙏

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना, हमारे वीर जवानों जिन्होंने हमें आजादी दिलाई उन्हें शत - शत नमन🙏।

श्रेयसी said

जी उन्हें नमन करना तो बनता है। धन्यवाद।

Updesh Kumar Shakyawar said

वास्तव में रचना की हर पंक्ति से जिन्दाबाद दहाड रहा... श्रेयसी जी के साथ इंकलाब ज़िन्दाबाद।

श्रेयसी said

बहुत-बहुत धन्यवाद सर🙏🙏

कमलकांत घिरी said

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, हम सब है भाई-भाई मात्र कहने को रह गया, कहने को समाजवादी आचरण व्यक्तिवादी हो गया, दोहरे चेहरे वाले मजे में जी रहे.. ये बात आपने बिल्कुल सही कही मैम, बहुत सुंदर विचार के साथ बेहद खूबसूरत रचना👌👏🙌🇮🇳🇮🇳 आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏🙏

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार मेरे कहने पर आपने मेरी रचना पढ़ी। मेरा मक़सद था इन क्रांतिकारियों को हमें जरूर पढ़ना चाहिए। इतनी सुन्दर प्रतिक्रया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन