दोस्त से मिलने का इंतज़ार
मिले इस सफ़र में
दोस्त अनगिनत
कुछ अच्छे कुछ ख़ास बने
एक ऐसा मिला
जो हवा के झोंके सा आकर चला गया
कहाँ से आया ,कहाँ को गया
न कोई खबर ,न ही कोई पता मिला उसका
कुछ ही शब्दों से
ज़िन्दगी के मायिनें बदल गया
मुझसे मेरी पहचान करवा गया
ऐसा दोस्त जो साथ न होकर भी
हर पल मेरे साथ रहा ..
सखी ,सहेली ,संगिनी का सही अर्थ समझा गया
दोस्ती का फर्ज निभा कर ,न चुकाया जाने वाला कर्ज़ चढ़ा गया
ज़िन्दगी का कैसा खेल है
जहाँ दोस्तों की महफ़िल में दोस्तों की कमी नहीं दिखती
वहाँ मेरा एक दोस्त ही न जाने कहाँ खो गया
इतने सालों में भी मेरी यादों से वो कहीं नहीं गया
मैं उसे याद हूँ ?यह भी मुझे नहीं पता
पर आज भी मेरे दिन की पहली दुआ उससे मिलने की होती है
यक़ीन हैं मुझे मेरे इंतज़ार पर
न आस छूटेगी न ही यह सांस छूटेगी,उससे मिलने से पहले..
वन्दना सूद