हदसे बढ़के आदमी की शोहरत जो बुलंद होगी
दिल और जहन से उसकी उतनी तेज जंग होगी
हर शिखर पाना हुआ मुश्किल बड़ा है आजकल
गिर पड़े जो लेकिन वहां से जिन्दगी बदरंग होगी
दौलत रुतबा जिसका भी यहां बढता ही जायेगा
दिल जरा छोटा बनेगा और नजर कुछ तंग होगी
कोई क्या देगा हमें और कोई क्या लेगा हमारा
किस्मत में जिसके है ये फ़तेह उसीके संग होगी
दास जब वीरान में खुद फूल खिलते हैं महकते
आबाद बस्तियों में दिलों की गूँजती मृदंग होगी