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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मज़ा है जीने में

अजीब सी कसक है सीने में,
फिर भी मज़ा है जीने में।

कहो चाहे तुम कुछ भी हम सुन लेंगे,
दिलचस्पी है ग़मों को पीने में।

भूलना चाहते हैं बीते दिनों को,
पर रोजाना दिख जाते हैं आईने में।

भूल कर भी भूल पाते नहीं इन्हें,
और फिर शामिल कर लेते हैं नगीने में।

कभी ख़ुलूस का रिश्ता था जो,
दिखता नहीं अब उसके क़रीने में।

अजीब सी कसक है सीने में,
फिर भी मज़ा है जीने में।

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Tulsi patel said

मज़ा है जीने में...! 👌🏻👌🏻👌🏻

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ma'am 🙏

Lekhram Yadav said

बहुत ही खूबसूरत और उम्दा रचना, मेरी प्यारी बहना सुप्रभात सहित सादर नमस्कार। जिस दिन दर्द में जीना सीख जाओगी हर जख्म हर दर्द से निजात पा जाओगी

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

क्या कहने! बहुत खूबसूरत रचना।👌🙏🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏

वन्दना सूद said

बेहद खूबसूरत रचना 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

कभी ख़ुलूस का रिश्ता था जो, दिखता नहीं अब उसके क़रीने में bahut khoob ! Kya baat hai mam👌👌 Pranam Sweekar karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका 😊 प्रणाम 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

बेह्तरीन...अजीब सी कसक है सीने में, फिर भी मज़ा है जीने में।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका 🙏

कमलकांत घिरी said

भूल कर भी भूल पाते नहीं इन्हें, और फिर शामिल कर लेते हैं नगीने में। वाह दीदी जी बहुत ही बेहतरीन एक एक पंक्ति लाजवाब है, एक बार फिर दिल जीत ली आपकी पंक्तियों ने👌👏🙌😊 प्रणाम दीदी जी 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks bhai, hum khush hai ki meri gazal apka dil jitane mein kaamyaab hui😊🙏

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