अब मन नही करता खामोशी में रहने दो।
अन्तःकरण से बाते हों ध्यान में रहने दो।।
महसूस करता चढ़ते उतरते प्राण अँधेरे में।
उस बीच याद तुम्हारी आई छोड़ो रहने दो।।
दिल समझ चुका कोरी याद से कुछ होगा!
उसका भी मन करे बात यहीं पर रहने दो।।
खुशी किस तरह जलील हुई मेरे स्वभाव से।
उसका भाव कौन जाने अधूरी बात रहने दो।।
यकीन मानिये मुझको कोई दुख नही होता।
सत्संग में सुन रखे 'उपदेश' धीरज रहने दो।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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