आईना आज मुझे मेरा वजूद दिखा रहा था (2)
मुझसे मेरी पहचान करा रहा था,
मैं क्या हूॅं ये मुझे बता रहा था।
आईना आज मुझे उन हसीन पलों की
याद दिला रहा था (2)
मेरी दर्द भरी दास्तां की तस्वीरों को भी
आईना आज मुझे दिखा रहा था,
जुदाई में अपनों के चेहरे दिखा रहा था।
आईना आज अपनी पनाह में मुझे लिए बैठा था (2)
दुनियां की चकाचौंध से दूर रखे हुए था,
आज फ़ुर्सत में मुझे अपने पास बिठाए हुए था।
आईना आज मेरा अतीत मुझे दिखा रहा था (2)
किसने प्यार दिया,किसने दर्द दिया
आज ये मुझे बता रहा था,
बीती ज़िंदगी की याद दिला रहा था।
~रीना कुमारी प्रजापत