रहती हो यूं इस कदर दिल में,
मुझे मेरे ही घर में मेहमान बना दिया है।
दो जिस्म, दो जान हैं हम,
इस हक़ीकत से हमें अंजान बना दिया है।
सच कहूं तो शरमा ही जाओगी तुम,
इस जहाँ में तुझे लाकर,
किसी ने हम पर एहसान बड़ा किया है..!
कमलकांत घिरी.✍️
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रहती हो यूं इस कदर दिल में,
मुझे मेरे ही घर में मेहमान बना दिया है।
दो जिस्म, दो जान हैं हम,
इस हक़ीकत से हमें अंजान बना दिया है।
सच कहूं तो शरमा ही जाओगी तुम,
इस जहाँ में तुझे लाकर,
किसी ने हम पर एहसान बड़ा किया है..!
कमलकांत घिरी.✍️