रुतबा जितने भी हो
खुदा ने दिया कुछ तो कमी ॥
मन जितनी भी बड़े हो
खुदा ने दिया आँखों की नमी ॥
बेइज्जती जितनी भी हो
खुदा ने कर दिया कुछ तो कमाल ॥
संसार जितनी भी विशाल हो
खुदा ने कर दिया मुझे एक मिसाल ॥
जितनी भी आवारा हो
खुदा ने कर दिया मेरी राह गवारा ॥
जितनी भी जन्नत में हो
खुद को कर दिया मेरा मिन्नत ॥