खूबसूरत यह जिन्दगी तो कौन खोना चाहता है
आदमी इस संसार में बस अमर होना चाहता है
हरकोई आजकल तो है एक मौके की तलाश में
फेंक सारा बोझ चादर तान कर सोना चाहता है
ढूंढता है हमसफऱ जो सिर्फ उसके दिल की सुने
हमदर्द के कांधे पर सर रख कर रोना चाहता है
बड़ा अजीब सा है देखो हमारे दिल का मिजाज
गम और ख़ुशी दोनों में पलके भिगोना चाहता है
दास्तांने दर्द दास दिल में दफन दुखती है ये नस
हर कोई घायल यहाँ मुलायम बिछोना चाहता हैी
अमर उजाला मेरे अल्फाज से रचना
शिव चरण दास