अपना मान बचाने को, जौहर कुंड में
कूद गई,
रक्षा करने मातृभूमि की, खूंखार अंग्रेजों से
भिड़ गई।
वो भारतीय वीरांगना अपनी अमिट छाप
छोड़ गई.....
वीरगति पर अपने पति के, निर्भय हो
सिंहासन पर बैठ गई,
युद्ध में भटक ना जाए मन अपने पति का,
सो काट सिर सैनाणी दे गई।
वो भारतीय वीरांगना अपनी अमिट छाप
छोड़ गई....
बचाने को भावी राणा, अपने बेटे की बलि
चढ़ा गई,
देश की आज़ादी ख़ातिर कई गोलियां खा गई।
वो भारतीय वीरांगना अपनी अमिट छाप
छोड़ गई....
----- रीना कुमारी प्रजापत 🖋️🖋️