कविता : शिकवा गिला....
सुख चाह
दुख मिला
खाना चाह
भूख मिला
फूल चाह
कांटा मिला
प्यार चाह
चांटा मिला
दोस्त चाह
दुश्मन मिला
सारा जीवन
कुछ न मिला
सब कुछ हुआ
ढीला ढीला
है इसी बात का
शिकवा गिला
है इसी बात का
शिकवा गिला.......
netra prasad gautam