गाँव की लड़की बचपन में काम निपटाने लगती।
उसके साथ-साथ अपनी पढाई लिखाई करती।।
उम्र से पहले बडा हो जाना पेट के लिए जरूरी।
फिर घर का नाम रोशन करने की तैयारी करती।।
कोई माने या न माने ऐसी भी जिन्दगी 'उपदेश'।
किस्से और हकीकत में क्या-कुछ नही करती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद