कविता : सच मरने लगा है....
सच जमीन पर लेट
धूल चाट रहा है
झूठ कुर्सी पर बैठ
ऐश काट रहा है
हकीकत में झूठ चारों ओर
शासन करने लगा है
सच बेचारा हर तरफ
से आज मरने लगा है
सच बेचारा हर तरफ
से आज मरने लगा है.......