जीवन दायिनी,
दुःख हरनी गंगा है...!!!
जो ह्रदय से कहलाती...
सबकी मां है...!!!
शिव शंकर,
शभूँ की जटा से निकली है...!!!
प्रत्येक जीवन में...
जो सुख समृद्धि भर देती है...!!!
आगे आगे,
भागीरथी के पदचाप है...!!!
पीछे पीछे देखो...
मां गंगा का प्रवाह है...!!!
कल कल करती हुई,
वह अविरल बहती है...!!!
पर्वतों चट्टानों का सीना चीर,
वह पृथ्वी पर आती है...!!!
यमुना सरस्वती से,
मां गंगा जब मिलती है...!!!
तब प्रयागराज में देखो...
वह संगम बन जाती है...!!!
संगम में स्नान करके...
आत्मा तृप्त हो जाती है...!!!
अंता करण से सबको...
मोक्ष प्राप्ति हो जाती है...!!!
मां गंगा अपने जल से,
शुद्धिकरण करती है...!!!
कुछ ही बूंद के सेवन से,
वह मुक्तिकरण करती है...!!!
हे मानव मां गंगा को,
दूषित करना पाप है...!!!
अंत समय में मां गंगा ही,
जीवन मुक्ति का मार्ग है...!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




