आइना क्या बतायेगा तुम्हें तुम्हारी खूबसूरती।
मेरी आँखों में पाओगे 'उपदेश' जज्बाती सर्दी।।
तुम्हारी शख्सियत की कहानी कोई नई नही।
तलाशी मेरी आँखों ने अपने सुकून की धरती।।
तुम जब मेरी खैरियत पूछते तो अच्छा लगता।
सिर कंधे पर हो और आसमानी ख्वाब कुदरती।।
पता है तुम्हारी मुस्कान से मौसम बदल जाता।
करीब बैठने को दिल करता जब अन्दर भरती।।
खुशकिस्मत हूँ कि आपको पहचान पाया दिल।
फरिश्ता जैसा कहती रिश्ता कायम नही करती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद