कविता : मुर्गा सब से बेहतर....
मुर्गा आदमी के लिए
सब से बेहतर है
पर आदमी मुर्गा के लिए
सब से बदतर है
मुर्गा ही सुबह सुबह
आदमी को जगाता है
फिर आदमी वही
मुर्गा को काट खाता है
हे आदमी क्या
तेरा यही है धर्म ?
थोड़ी बहुत
तो कर जरा शर्म
थोड़ी बहुत
तो कर जरा शर्म.......?