( कविता ) ( जैसे करनी वैसे भरनी )
किसी देश की किसी
एक शहर में
शहर की एक
गली के घर में
दो प्रेमी प्रेमिका के
बीच शादी होने वाली है
लड़का गोरा चिट्ठा है
लड़की थोड़ी काली है
संयोग वस एक दिन
लड़के का एक्सीडेंट होता है
उसे हैस्पिटल लाया गया
वह वहां बहुत रोता है
बेचारा लड़के पर
आपत विपत है
एक्सीडेंट में उसका
टांग छतविछत है
लड़के का छतविछ्त टांग
डाक्टर देखता है
मगर ठीक नहीं कर सकता
उसका टांग काट कर फेंकता है
ये पूरी खबर उसकी
प्रेमिका कहीं से पाती है
वह उसे हैस्पिटल
मिलने भी नहीं जाती है
वह तो मुबाइल
पर मेसेज भेजती
अब तुम से शादी
मैं नहीं कर सकती
ठीक इसके दो दिन बाद संयोग से
उसकी भी एक्सीडेंट होती है
वह भी दूसरी हैस्पिटल
बेड पर रोती है
किस्मत का खेल
उसकी भी टांग ही छतविछत
उसे भी पड़ गई
आपत और विपत
उसकी भी इलाज हो न सकी
उसकी भी टांग कट गई
चिंता और ताप
इधर प्रेमीका पर भी बढ़ गई
न उधर लड़के का शादी हो रहा
न इधर लड़की की शादी हो रही
लड़का उधर रो रहा
लड़की इधर रो रही
लड़का उधर रो रहा
लडकी इधर रो रही.......