कविता : हड़ताल....( 2 )
हुआ हड़ताल
हर तरफ बेहाल
बंद दुकान
बंद मकान
सड़क जाम
रुक गया काम
भिड़ंत तकरार
लाठी का प्रहार
गोली का बौछार
लाशों का अंबार
कोई नहीं अच्छे
बिलखते बच्चे
कहीं हिंसा अत्याचार
कहीं फिर बलात्कार
औरतों का चीत्कार
ये कैसी संसार ?
ये कैसी संसार.......?
netra prasad gautam