चोर को चोर कहने पर, काकी
तिलमिला उठी,
जब वह वीरांगना दहाड़ उठी।
काकी की ताई, इंकी रानी इंक भागी- भागी आई।
डंकी लाल डंक बिफर उठा,
अंकी लाल अंक सिहर उठा।
थे गायब सारे रिकॉर्ड, खाली फायलें दिखलाते।
साहेब के सामने आकर, अपना मुंह काला करवाते।
खाते में से खा- पी कर, चैन की बंसी बजा रहे हैं।
जैसे ही मालूम पड़ा गायब, लोग इनको अब दौड़ा रहे हैं।