👉बह्र - बहर-ए-हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़
👉 वज़्न - 1222 1222 122
👉 अरकान - मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
ख़ुदा हैरान होता जा रहा है
बशर भगवान होता जा रहा है
रखा है माँ ने सर पे हाथ जबसे
सफ़र आसान होता जा रहा है
कभी दुश्मन था मेरी जान का जो
वही अब जान होता जा रहा है
नफ़ा का सोच कर की थी मोहब्बत
तभी नुक़सान होता जा रहा है
न ख़्वाहिश है न अब कोई ख़लिश है
ये दिल हलकान होता जा रहा है
कोई आबाद है करके मोहब्बत
कोई वीरान होता जा रहा है
©विवेक'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




