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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता - एक मासूम लड़की....

(कविता) (एक मासुम लडकी)
एक मासुम लडकी है चाैध साल कि
है बहुत अच्छी वह बाेल-चाल कि


बाप का पता नहीं एक दिन मां चल बसी
बेचारी लडकी कि छिन गई हंसी

दुबले अाैर पतले न माेटे है
उसके दाे भाइ उससे बहुत छाेटे हैं

फिर भी लिया उसने जिम्मा देख भाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि

शहर के हर गली-गली जाती
कचरे में फेंका कागज वह उठाती

सुबह से शाम तक यही करती
कागज बेचके भाईयाें का पेट भरती

हिम्मत न हारती...है कमाल की
एक मासुम लडकी चाैध साल कि

चलती रहती बाेरी ले कर सुबह से शाम
भूखी प्यासी न करती वह एक पल अाराम

उसकी दिन चर्या है लगा उसी में
उसे देखने कि फुर्सत नहीं अाज किसी में

दिखने में है सुन्दर सुडाैल ढाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि

बहुत किया बहुत कुछ कर रही है
भाईयाें का पेट मुश्किल से भर रही है

कब तक कागज उठाती रहेगी
बेचारी कबतक पीडा सहेगी

किसके पास है जबाफ ये सबाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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Bhushan Saahu said

Bilkul ham sabko samaj m ho rhi pida or logo ko ho rahe dukh ki tarf bhi dyan dena chahay. Bahut khubsurat likha aapne.

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार भूषण साहू जी प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

रमेश चंद्र said

Kya hi khne aapki rachna ke🙏🙏

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार रमेश कुमार जी आप की प्रशंसा ही मुझ को आगे और लिखने में प्रेरित करती है धन्यवाद

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