(कविता) (एक मासुम लडकी)
एक मासुम लडकी है चाैध साल कि
है बहुत अच्छी वह बाेल-चाल कि
बाप का पता नहीं एक दिन मां चल बसी
बेचारी लडकी कि छिन गई हंसी
दुबले अाैर पतले न माेटे है
उसके दाे भाइ उससे बहुत छाेटे हैं
फिर भी लिया उसने जिम्मा देख भाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि
शहर के हर गली-गली जाती
कचरे में फेंका कागज वह उठाती
सुबह से शाम तक यही करती
कागज बेचके भाईयाें का पेट भरती
हिम्मत न हारती...है कमाल की
एक मासुम लडकी चाैध साल कि
चलती रहती बाेरी ले कर सुबह से शाम
भूखी प्यासी न करती वह एक पल अाराम
उसकी दिन चर्या है लगा उसी में
उसे देखने कि फुर्सत नहीं अाज किसी में
दिखने में है सुन्दर सुडाैल ढाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि
बहुत किया बहुत कुछ कर रही है
भाईयाें का पेट मुश्किल से भर रही है
कब तक कागज उठाती रहेगी
बेचारी कबतक पीडा सहेगी
किसके पास है जबाफ ये सबाल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि
एक मासुम लडकी चाैध साल कि.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




