कविता - बुढ़ापे में तो....
पास आ कर
थोड़ा बैठ कर
कुछ कहते नहीं
दोस्त रहते नहीं
घर वाले पूछते नहीं
कुछ भी सोचते नहीं
और तो और....
शरीर भी साथ देता नहीं
आंख देखता नहीं
हाथ लिखता नहीं
नाक सूंघता नहीं
कान सुनता नहीं
ताकत होता नहीं
दिमाग सोचता नहीं
आवाज निकलता नहीं
पावं चलता नहीं
दांत चबाता नहीं
पेट पचाता नहीं
शरीर भी बचाता नहीं
बेहाल है बेहाल
ये है... बुढ़ापे का हाल
ये है... बुढ़ापे का हाल.......
netra prasad gautam