(कविता ) (दूसराें के लिए जीना ही जीवन है)
किसी का उद्वार करना सब का छूटता पसीना
अपने लिए जीना भी क्या जीना
दूसराें का हाे या अपना एक ही ताे तन है
दूसराे के लिए जीना ही जीवन है
अपने काे ही बनाना
अपने लिए ही खाना
न किसी के दु:ख:में राे रहा
अाज मानव क्याें ऐसा हाे रहा?
सिर्फ अपने लिए कमाना वह ताे है कमिना
अपने लिए जीना भी क्या जीना
बहुत बुरी बात हर काेई अपने में ही मगन है
दूसराें के लिए जीना ही जीवन है
हर काेई यहाँ अपने लिए मर रहा
किसी दूसरे के लिए कुछ भी नहीं कर रहा
जिसकाे देखाे वह बड़ा व्यस्त है
अपने अाप में मस्त है
किसी काे डान्स दिखना किसी काे है शराब पीना
अपने लिए जीना भी क्या जीना
पीड़ित बर्गाें काे देखाे उनका भी ताे मन है
दूसराें के लिए जीना ही जीवन है
खुद बना जग बन गया ये पुराना चलन है
यहाँ का यही ताे बदचलन है
हर इंसान अपने स्वार्थ में ही अड़ा है
न जाने किस चक्कर में पड़ा है
हर काेई बन रहा डसने वाली नगीना
अपने लिए जीना भी क्या जीना
किसी के लिए न साेचना यही ताे बेफकुफी पन है
दूसराें के लिए जीना ही जीवन है
दूसराें के लिए जीना ही जीवन है.......


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







