भ्रष्टाचारियों को,
शरण देना करें बंद।
अपने स्वार्थ की खातिर,
लूट का लाइसेंस करो बंद।
जांच दल बनाते हो,
उन्हीं अपराधियों को बैठाते हो,
बोलते हैं फिर झूठ पर झूठ,
और नाकामियों को छुपाते हो।
तारीख पर तारीख,
मिलती है।
पीड़ित की हिम्मत,
जवाब देती है।
न्याय तो मिलता नहीं,
अलबत्ता उसकी जमा पूंजी।
धीरे-धीरे करके,
भेंट चढ़ जाती है।
वह पागल सा,
निहारता है आसमान की तरफ।
हे ईश्वर!
मुझे ले ले अपनी शरण।
और फंदा लगाकर,
स्वयं झूल जाता है।