(कविता) (बाल अधिकार)
कहां है अाज बाल अधिकार,
कितना मतलब का है ये संसार।।१।।
काेई छाेटे बच्चे हाथ फैला कर कहते,
सारा दिन भीख मांगते रहते।।
बाबू जी दर्द-पीडा दुख है,
कुछ पैसे दाे पेट में बहुत भूख है।।
उन बेचाराें काे जरा दाे अाधार,
कहां है अाज बाल अधिकार।।२।।
काेई बच्चे कूडे के ढेर में जाते,
वहीं से उठा कर फेंका हुवा खराब खाना खाते।।
ऐसा खाने से अक्सर वेह बिमार रहते,
ये देख कर भी अांशु किसी के नहीं बहते।।
भूख से ही काेई हैं कु-पाेषण के शिकार,
कहां है अाज बाल अधिकार।।३।।
काेई बच्चे काेठीअाें में करे काम,
उनकाे भी कभी न मिले अाराम।।
घर का सारा काम बर्तन कपडे धाे कर,
काटते हैं दिन रात वेह भी धर धर राे कर।।
उन्हें अपना समझाे न कराे इन्कार,
कहां है अाज बाल अधिकार।।४।।
काेइ बच्चे सडक किनारे ढाबे पर,
काम करे दिन रात भर।।
वहां भी बर्तन धाेते बखत काेई डांटे,
कभी गाल पर मालिक मारे चांटे।।
घृणा न कराे उन्हें भी चाहिए प्यार,
कहां है अाज बाल अधिकार।।५।।
यूं हीं बच्चाें काे न धमकाअाे न ताे डराअाे,
बाल मजदूरी उन से मत कर वाअाे।।
ध्यान न दिया ताे वेह पीडित हाेते रहेंगे,
साेचाे जरा बेचारे कब तक राेते रहेंगे।।
अब उन का जीवन स्तर बनाने रहाे तयार,
कहां है अाज बाल अधिकार।।६।।
कहां है अाज बाल अधिकार.......