कभी क्रोध, तो कभी चिड़चिड़ाहट,
कभी आलस, तो कभी हड़बड़ाहट,
एक अपूर्णता, सदैव रहती मुझमें,
तुम्हारे आगमन से मैं पूर्ण हुआ।
तम आवृत जीवन में हुआ उजास,
तुम्हारे साथ से हुआ जीवन सुबास,
बिन तुम्हारे था मैं बिलकुल अधूरा,
तुम्हारे आगमन से मैं पूर्ण हुआ।
विकट समस्याओं में हुआ निराश,
क्रोधित मन रहता था सदा उदास,
कमियों को घटा, जोड़ दिया संबल,
तुम्हारे आगमन से मैं पूर्ण हुआ।
पत्नी, प्रियतमा, सहयोगी, मित्र,
रंग दिया आकर मेरा जीवन चित्र,
मेरा संसार था तुम्हारे बिना अपूर्ण,
तुम्हारे आगमन से मैं पूर्ण हुआ।
दुःख को सुनकर पीड़ा हर लेती है,
पत्नी जीवन खुशियों से भर देती है,
सोए भाग्य को आकर जगा दिया,
तुम्हारे आगमन से मैं पूर्ण हुआ।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




