कविता : आज की जनरेशन....
आज की जनरेशन चौबीसों घंटे
मोबाइल देखने में व्यस्त है
सारा का सारा काम धंधा
छोड़ उसी पर मस्त है
घर पर मां बाप सत्तर
असी साल के बूढ़े हैं
वे चल फिर नहीं सकते
बिस्तर पर पड़े हैं
बच्चे लोग उनके बारे में
कुछ भी नहीं सोचते
न चाय नाश्ता न तो वे
खाने के लिए पूछते
बुजुर्ग मां बाप के प्रति
ऐसा न करें कम से कम
हम में से कोई जा कर
उन बच्चों को समझाएं हम
हम में से कोई जा कर
उन बच्चों को समझाएं हम.......