कटघरे में वक्त
सोच की दीवारों ने दायरे बढ़ा दिए ,
इल्ज़ाम हमने वक्त पर लगा दिया ।
लफ़्ज़ों की बौछारों ने दामन तक भिगो दिए,
ज़िम्मेदार फिर भी वक्त को ठहरा दिया ।
भावनाओं का सैलाब सब बहा ले गया,
और कटघरे में वक्त को खड़ा कर दिया ।
असल में खुद को संभाल नहीं पाए,
इसलिए हर पल वक्त को कोसते रह गए ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




