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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कैसे मैं खो जाऊ

कब तक उलझू इन बातो मे ,
सपने गढू मैं इन रातो में ,
कलम से तेरी मेहंदी लगाऊ ,
शब्दो से श्रृंगार सजाऊ ,
चैतन्य से तेरा हो जाऊ
या फिर मै दायित्व निभाउ ,

बिखरी बिखरी सी संस्कृति है ,
युग की धारा फूट पड़ी है ,
मुझसे नव निर्माण की आशा ,
चेतना मेरी तुझपे रुकी है ,
क्या मुँह मै दिखलाऊ ,
कैसे दायित्व निभाउ...

कितनी पीड़ा है संसृति में ,
सबकोइ अपनी वीन बजाये ,
सबल और बलवान हो जाए ,
दुर्बल की वाणी दब जाए ,
प्रेम सेज में सुख की नींद मैं ,
कैसे फिर सो जाऊ ,,

जाति धर्म में भारत बंट रहा ,
ईर्श्या का कोई जहर घोल रहा ,
प्यारी सभ्यता गाली खा रही ,
प्रकृति भी हमसे दूषित हो रही ,
बता मुझे तेरी आँखों में ,
कैसे मैं खो जाऊ...
या फिर दायित्व निभाउ l

शोषित दुर्बल कैसे पीड़ित ,
रात दीना सब उनको छलते ,
अपनी पीड़ा किसे वो कहते ,
गीतों में हम रहते उल्झे ,
कब तक तुझे मै गाउ ,
या फिर दायित्व निभाउ ,

कोमल कलिया टूट बिखर रही,
वासनाओ की बली वो चढ़ रही ,
दूषित गिद्ध नोच के खा रहे ,
सपने उनके साथ जला रहे
कितना तुझे बताऊ,
या फिर दायित्व निभाउ..

काली - काली इन झुल्फो में ,
मीठी- मीठी सी बातो में ,
झील सी गहरी इन आँखों में ,
सरस सुहानी सी स्वाशो मे ,
यदि मैं भी खो जाऊ ,
यारा क्या दायित्वा निभाउ .

समय की अपनी इन मांगों में ,
एकरूपता की माला में ,
दुर्बल शोषित की ज्वाला में ,
साध सुरो को निज लेखनी से ,
अनहद टेर लगाऊ .
मै अपना दायित्वा निभाउ ......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रमेश चंद्र said

Bahut hi umda prastuti....sabdo or lay ka bahut sundar samavesh.

तेज प्रकाश पांडे replied

Tnx

Vineet Garg said

बहुत खूब श्रीमान, इतना सुंदर लेखन पढ़कर मैं तो आपका कृतज्ञ हो गया धन्यवाद

तेज प्रकाश पांडे replied

Aabhar

Ankush Gupta said

Uttam prastuti

तेज प्रकाश पांडे replied

Tnx

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