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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

करोगे जैसा कर्म ,वैसा ही फल पाओगे

करोगे जैसा कर्म वैसा ही फल पाओगे
कर्म चक्र को आंखो के सामने अपनी घूमता हुआ तुम पाओगे।
याद कर अब वो मंजर
घोपा था जब तूने किसी की पीठ मे खंजर।
बूढी मां का हाथ पकड़कर जब तूने घर से निकाला था
कर बंद दूर एक कमरे मे तूने ताला डाला था।
निकल गया उसका तो दम
फिर भी तुझे ना था कोई भी गम।
कर्मो का चक्र अब घूम चुका।
वक्त्त भी अब तो झूम चुका
अब तू बूढी है
तेरा बेटा अब जवान है
तुझ जैसी हस्ती वो भी महान है।
हाथ पकड़कर वो तेरा आज तुझको घर से निकाल रहा
कही दूर बने उस कमरे मे तुझको आज वो डाल रहा।
सुन ना रहा वो तेरी चीख पुकार
कर रहा वो तुझ पर ही धुतकार
तू भी आज एक मोहरा है
गया इतिहास दोहरा है।
-राशिका




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Bhushan Saahu said

No words...awardable rachna aur ek behatrin soch . 👌👌👏👏

Rashika said

Thanks Bhushan saahu ji

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Karma is back bahut achhe se explain Kiya sundar rachna

Rashika said

Thanks ashok Kumar ji

Sanjay Srivastva said

बिल्कुल सत्य उल्लेख किया आपने 👍

Rashika said

मेरी रचना को महत्व देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद संजय श्रीवास्तव जी 🙏🙏🙏

Sanjay Srivastva said

बहुत खूब, आईना ज़िंदगी का.. बेहतर दिखाया आपने.

Rashika said

धन्यवाद संजय श्रीवास्तव जी 🙏🙏🙏

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